सब साथी बिछड़ गये हैं
सिर्फ तुम, आज अतीत में से
पता नहीं कहाँ से झांके हो।
...
सिर्फ तुम, आज अतीत में से
पता नहीं कहाँ से झांके हो।
...
मेरे सब साथी, गुजरे वक्त के साथी
सिर उठा रहे हैं।
आ जा ! तुम हमारे पास आ जा !
पर किसके पास !
यह सब साथी वक्त की कब़र अंदर बाद हैं
जिंदगी में होते हुये भी, यह आज कितनी दूर हैं
किसी के लिये किसके पास टाईम है
कौन पास बैठा सकता है, कौन है जो आज मेरे पास है ?
सिर्फ एक तूम व एक मैं
बाकि तो सारे साथी
वक्त की कब़र अंदर बंद हैं ।
सिर उठा रहे हैं।
आ जा ! तुम हमारे पास आ जा !
पर किसके पास !
यह सब साथी वक्त की कब़र अंदर बाद हैं
जिंदगी में होते हुये भी, यह आज कितनी दूर हैं
किसी के लिये किसके पास टाईम है
कौन पास बैठा सकता है, कौन है जो आज मेरे पास है ?
सिर्फ एक तूम व एक मैं
बाकि तो सारे साथी
वक्त की कब़र अंदर बंद हैं ।
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