Saturday, 4 August 2012

तेरा जोर।। चाचरी छंद।। जापु साहिब ।६२-६३।

तेरा बल (भाव: तेरे बल से कह रहा हूँ ) यह छंद का नाम है /
जले हैं// तले हैं// अभीत हैं// अभे हैं //६२//
(तूँ) जल में है. थल में है, डर से रहित है, व भेष से रहित है /
प्रभु हैं// अजू हैं// अदेस हैं// अभेस हैं// ६३//
(तूँ सब का) प्रभु है, अचल है, देश, भेष रहित //६३//

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