चत्र चक्र करता.......!
हे प्रभू ! तू चारों दिशाओं के जीवों को पैदा करने वाला तथा नाश करने वाला है। तू चारों दिशाओं के जीवो को देह पदार्थ देने वाला तथा उनके दिल की जानने वाला है।९६।
चत्र चक्र वरती........!
हे प्रभु ! तू चारों दिशाओं मे मौजूद है तथा सब जीवों का पालक है, रक्षक भी है, तथा नाश करने वाला भी है।९७।
चत्र चक्र पासे.......!
हे प्रभु ! तू चारों दिशाओं में प्रत्येक स्थान पर है, प्रत्येक स्थान पर तेरी पूजा कर रह्मे हैं, तथा तू ही सब को देह पदार्थ देने वाला है।९८।
चत्र चक्र वरती........!
हे प्रभु ! तू चारों दिशाओं मे मौजूद है तथा सब जीवों का पालक है, रक्षक भी है, तथा नाश करने वाला भी है।९७।
चत्र चक्र पासे.......!
हे प्रभु ! तू चारों दिशाओं में प्रत्येक स्थान पर है, प्रत्येक स्थान पर तेरी पूजा कर रह्मे हैं, तथा तू ही सब को देह पदार्थ देने वाला है।९८।
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