आग़ाज़-ए-आशीक़ी का मज़ा आप जानिए,
अंजाम-ए-आशीक़ी की सज़ा मुझसे जानिए।
मुश्किल है आशिक़ी, बेदिली से,
मुश्किल उस से भी 'मोहब्बत' ।
ग़म-ए-आशिक़ी से पहले न थी दुशमनी किसी से,
हमें कोई ग़म नहीं था, तेरी दोस्ती से पहले।
खो बैठेंगे 'सुख'
अपनी ख़ुद की मेहनत का, ग़र
तुलना करते रहे किसी ओर की/
शिकार हो जायेंगे,
घमंड तथा जलन की भावना के।
लोग क्या कहेंगे,
लोगों का काम है कहना, ग़र
हम कुछ भी नहीं करते । या
हम जो करना चाहते हैं तब भी।
पहुँचेंगे उस अवसर के पास
ग़र हो मेहनत और लगन अपनी
बजाय इंतजार करने को, उस अवसर का।
क्योंकि पता नहीं समय कितना लग जाए।
दुसरों के लिये कुछ सोचना,
ग़र हो मेहनत और लगन अपनी
बजाय इंतजार करने को, उस अवसर का।
क्योंकि पता नहीं समय कितना लग जाए।
ग़र' तब भी, जब
अपनी स्थिति हो खराब
रोशनी दिखलाओ उन्हें
रोशनी दिखलाओ उन्हें
राह ख़ुद-बा-ख़ुद मिल ही जायेगी।
__________________________
आधी मंजिल तय।
ग़र' यकीन है,आपको खुद पे,कुछ करने को।
ग़र' यकीन है,आपको खुद पे,कुछ करने को।
_______________________________
स्वर्ग की ओर बढते कद़म,
ग़र' किया तय,
उपकार का कुछ काम,करने को,
पर पछताये बिना/करना है तय,
_________________________
अपना एक टारगेट
ग़र' नहीं जानते आप
कोई मंजिल-ए-निशां
व़रना नहीं पहुंच पायेंगे
कहीं भी, कभी भी।
ग़र' नहीं जानते आप
कोई मंजिल-ए-निशां
व़रना नहीं पहुंच पायेंगे
कहीं भी, कभी भी।
_________________________
हमेशा तैयार
पूरी चुनौती के साथ
किसी भी काम को करने के लिये
महान व्यक्ति वही / मगर,
हम चीज़ों को देखते हैं और
कहते हो कि यह कैसा होगा ?
पूरी चुनौती के साथ
किसी भी काम को करने के लिये
महान व्यक्ति वही / मगर,
हम चीज़ों को देखते हैं और
कहते हो कि यह कैसा होगा ?
____________________________
कुछ भी कर सकते हो
ग़र आपके इरादे हैं मजबूत
निर्भर करता है /
नामुमकिन के बीच
कितना अंतर है
व्यक्ति के इरादों पर /
ग़र आपके इरादे हैं मजबूत
निर्भर करता है /
नामुमकिन के बीच
कितना अंतर है
व्यक्ति के इरादों पर /
_________________________________
कभी दूर नहीं होता
जिंदगी से मुश्किल दौर,
लेकिन हमेशा ही
इससे पार पाते हैं
हैंडल करने वाले लोग
इस मजबूत दिल से /
जिंदगी से मुश्किल दौर,
लेकिन हमेशा ही
इससे पार पाते हैं
हैंडल करने वाले लोग
इस मजबूत दिल से /
_________________________________
No comments:
Post a Comment