Wednesday, 8 August 2012

गंभीर' के विचार


                            जब किसी राज्य में अकाल पड़ जाये या बाढ़ आ जाये तो केन्द्र सरकार, दूसरे राज्य के मुख्य मंत्री तथा अधिकार गण अन्न, कपड़े आदि कि जरूरतें पूरी करते हैं | 
                           पर यदि कहीं 'सत्य' का अकाल पड़ जाये तो इस आवश्यकता को वो ही मनुष्य पूरा करेगा जिसके पास पहले से ही 'सत्य' होगा |
                             भुत-प्रेत कोई कोई अलग से जून नहीं है | मनुष्य के जीवन में जब सत्य पंख लगा कर उड़ जाता है | मनुष्य से बड़ा कोई भुत बेताल नहीं |
                              सत्य न होने से यह मनुष्य अपने जीवन को कोड़ जैसी बिमारी लगा बैठा है | गुरू ग्रन्थ साहिब में 'आसा की वार' नाम की वाणी में इस सच्चाई को बहुत अच्छी तरह से समझाया गया है |


अत्यधिक क्रोध,
मन में अशुद्ध विचार|
क्षणिक-भर मानव-जीवन,
गंभीर' के विचार
आप भी सोचो,
...
दस बार सोचो, जब बोलो,
थम जाए क्रोध,
हजार बार सोचो|
सोचकर बोलो |
फिर भी क्रोध आयेगा,
पर, अपने पर |और,
साथ में आयेगी, समझ|कि,
मुर्खता थी अपनी| अब,
पश्चाताप और ध्यान,
ईश्वर का| जो हर समय,
देख रहा है| गंभीर मुद्रा में |

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