One Who Offers Both,
"Respectful Greeting"& "Rude Refuse"
Of His Master has Wrong from Very Beginning,
Nanak Says, Both of His Action're False.
The Lord's Obtain, No Place in the His Court.
जो मनुष्य मालिक प्रभु के हुक्म के आगे कभी निम्रता सहित सिर भी झुकाता है,
और कभी प्रभु के किए कार्य पर ऐतराज़ भी उठाता है,
वो प्रभु की नज़र में रखी अपनी किसी भी कृपा की अर्ज़ीयों को सिरे से ही खारिज़ समझे ।
नानक कहते हैं, कि उस मनुष्य दोनों ही जगह (सिर झुकाना और ऐतराज़ उठाना) से कही गई बात कबूल नहीं होती।
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