Thursday, 23 March 2017

Serving The Lord, "Peace of Obtained"

Serving The Lord,  "Obtained The Peace".
जित सेविऐ, सुख पाईऐ

Meditate & Dwell Upon, Forever,
The Lord &  Master.

You Shall have to Suffer,
So Why Do You Do such Evil Deeds ?

Don't Do any Evil at all,
Look Ahead ! The Future with Foresight,

You Shall not Lose with Your Lord&Master
So Throw ! The dice in such A Way

Do those Deeds !
Which Shall Bring Your Profit.

जिस मालिक का सिमरन करने से सुख-शांति मिलती है, उसे प्रभु को सदा याद रखना चाहिए।

गुरु से मिली शिक्षा से, जब जानकारी है कि अपने कर्मों का फल आप ही भुगतना है तो बुरे काम करें ही क्यों ? जिससे बुरा फल मिलना लाज़मी है।

अपनी गहराई वाली सोच जो गुरु द्वाराअत्यंत अध्यन के बाद मिली है, से विचार करके देखो कि भविष्य में इन बुरे कामों के परिणाम स्वरूप क्या मिलेगा।

इसीलिए भूल कर भी बुरे कामों को कतई नहीं करना चाहिए। और ऐसा अच्छा काम करें , जिससे इस मनुष्य जन्म के सुअवसर पर कोई लाभ वाली कमाई हो, और उस प्रिय परम् आत्मा से प्रीत न टूटे।

आसा दी वार। पौहड़ी 21।

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