Wednesday, 29 March 2017

These Gurumukh, Who're Filled...

These Gurumukh, Who're Filled with his Love,
Have The Lord as their Serving Grace*.

How Can Anyone Slander* them?
The Lord's Name is Dear to them.

Those Whose Mind're in Harmony's The Lord, ---
All their Enemies* Attack them in Vain*

Servant Nanak Meditates on tha NAAM,
The Name of The Lord,
The Lord Protector*
(*कृपा *निंदा * सद्भाव * ध्यान लगाना *रक्षक)
गुरु के बताए रास्ते पर चलने वाले को "गुरमुख" कहा जाता है।
गुरमुख के भीतर परमात्मा की प्रीत हो जाती है, जिससे उस मनुष्य को विकारों से बचाने वाला रखवाला वो आप ही होता है।
जिन मनुष्यों को परमात्मा के नाम से प्यार होने लगता है, भला उसकी बुराई कोई क्यों करने लगा!
जिन मनुष्यों को परमात्मा के नाम से सीधा मन का सबन्ध बन जाता है, उनको बदनाम करने वाले दुश्मन लोग व्यर्थ ही दीवार को टक्कर मारते हैं।
गुरु नानक जी अपने आप को परमात्मा का सेवक बताते हुए कहते हैं कि उन्होंने परमात्मा का असल 'नाम" का ध्यान किया है, इसीलिए हमारे अंदर जो पांच विकार (काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार) छुपे बैठे है, उनसे बचाव के लिए परमात्मा, रक्षक बनकर आप ही खड़ा हो जाता है।

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