Friday, 31 March 2017

सिखों_की_पहचान #पगड़ी*

*सिखों_की_पहचान #पगड़ी*

किसी जमाने में पगड़ीं, पंजाबियों  की शान मानी जाती थी, समय के साथ साथ खालसा पंथ की स्थापना के समय इस पगड़ीं को  सिखों की पहचान के पांच चिन्हों यानि ड्रेस कोड यानि वर्दी में से केस के साथ एक अनिवार्य चिन्ह (निशान) घोषित किये जाने से एक पहचान के रूप में उभर कर सामने आई और आज यह पगड़ीं एक इज्जत के नाम से जानी जाने लगी।

दूर से ही हज़ारों-लाखों की गिनती के समूह में किसी एक ने भी पगड़ीं पहनी हो, दिख जाता है।
धारणा है कि जब कभी जिस किसी को किसी भी प्रकार की आपातकालीन (emergency) अवस्था में इस निशान वाले सिख की मदद ले सकता है।

जैसे कि गुरु ग्रन्थ साहिब को सुशोभित तथा बिराजमान किये गुरद्वारा साहिब में लगे निशान साहिब को देख दूर से भटकते राहगीर को एक शरण स्थल, भूखे-प्यासे को खाने की शिक्षा से महफूज़ विद्यार्थी, अस्वस्थ को इलाज़ के लिए दवाई की, तथा सबसे महत्वपूर्ण सांसारिक व आध्यात्मिक ज्ञान के जिज्ञासु की जरूरत को पूरा करने के प्रतीक समझा जाना चाहिए,

वैसे ही पगड़ीं के निशान चिन्ह वाले सिख की भी सबसे पहले फ़र्ज़ बनता है कि जिस किसी गरीब, कमज़ोर, जरूरतमंद को आप से मदद की जरूरत आंन पड़े, तन, मन, हो सके तो धन से भी उसकी सहायता करे । यही गुरु के सिख का सच्चा और स्वच्छ धर्म है।

*Seriously*

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