Speak Insipid, Become Insipid
नानक फिकै बोलिऐ, तन मन फिका होइ
O Nanak! Speaking Insipid Words,
The Body & Mind become Insipid.
He is Called The Most Insipid
Of The Insipid ;
The Most Insipid of The Insipid
Is His Reputaion.
The Insipid Person Is Discarded
In The Court &
The Insipid one's Face is Spat UpOn.
The Insipid One is Called A Fool;
He is Beaten with Shoes
In Punishment.
हे नानक, यदि मनुष्य रूखे स्वभाव वाले शब्द बोलता है,तो सक्स तन और मन दोनों रूखे हो जाते हैं, भाव, उसके अंदर से प्रेम उड़ जाता है।
रूखा बोलने वाला व्यक्ति समाज में 'रखा' नाम से ही मशहूर हो जाता है और लोग उसे रूखे स्वभाव के कारण ही याद करते हैं।
रूखा, यानि प्रेम से संकुचित मनुष्य प्रभु की दरगाह अथवा नज़र से भी ख़ारिज़ यानि नामंजूर होता है। उस के मुंह पर समाज की थूकें यानि फटकार पड़ती रहती है।
प्रेमहीन रूखे मनुष्य को मुर्ख मनुष्य कहना चाहिए। इस प्रेम से रूठे व्यक्ति को जूतों की मार यानि हरेक स्थान उसकी बेइज्जती होती है।
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