What Sort of Love is this which cling to duality*
Nanak Says, "He Name is Called 'A Lover'
who Remains Forever impressed in Absorption.
But One Who Feels Good Only when Good is Done for Him,
One Who Feels Bad when Thinks Go Badly.
Don't Call him, A 'Lover' ,
He Trades Only for His Own Account.
यदि कोई प्रेमी जोड़ा अपने प्यारे लवर के बिना, किसी और से दिल लगाता है, तो इसे सच्चा इश्क़ नहीं कहा जा सकता ।
क्योंकि असुलन वही सच्चा आशिक़ है, जो अपने प्रियतम को ही अपनी याद में बसाए रखे ।
पर, जो अपने प्रिय का अच्छा कार्य होता देख अच्छा कबूल करे और उसका बुरा होते देख घबरा जाए, उसे सच्चा आशिक नहीं कहा जा सकता, क्योंकि अभी उसे प्रेमी अपने प्रियतम के
अच्छे गुणों की पहचान गिणती पर आधारित है।
No comments:
Post a Comment