नाम_सिमरन.
#अदृश्य शक्ति का नाम गुण वाचक है!
#निरंकार निर्गुण है, उसका ना कोई रंग है तथा ना कोई रूप ।
नाम तथा रूप का परस्पर संबन्ध होता है ।
हर नाम किसी न किसी पदार्थ (object)के रूप का सूचक (Signal) होता है।
अदृश्य (unseen) वस्तु का काल्पनिक (imagine) नाम किसी श्रोता (Listener) के लिए ज्ञान योग्य नहीं होता, उसको उस वस्तु के लक्षण या गुण (Quality) बता कर, समझा कर, या भुझ कर कोशिश की जाती है।
महान व् अनुभव वाले विद्वानों ने निरंकार को दर्शाने के लिए असत्य भांति प्रिय सता अनुसार उस को सत-चित-आंनद रूप कहा है ।
इसके अतिरिक्त उसके अंनत कर्म-नामों तथा गुण-कर्मों को प्रकट करने वाले बेअन्त नामों की कल्पना की है।
सतगुरू (True Guru) ) ने गुरबाणी में निरंकार की सर्व-व्यापी व सर्व-काली अकाली होंद को दर्शाने के लिए कई नाम प्रचलित हैं ।
इससे पहले भी कई एक चिंतकों ने उसको गुणवाचक नामों से दर्शाने की कोशिश की गई है ।
किसी काल्पनिक नाम से दुविधा पड़ने के डर को दूर करने के लिए निरंकार के गुणों का भी वर्णन किया गया है, क्योंकि काल्पनिक नाम अक्सर बहु-अर्थी होते हैं ।
भाई काहन सिंह जी 'नाभा' लिखते हैं :-
"जिस पुरुष ने जिस नाम की कल्पना की है, उसका वही अर्थ रहे कि जो कल्पना करने वाले ने माना है, यह नियम नहीं, किंतु पंडितों व उपाशदों के मत व् निश्चय अनुसार अर्थों में भेद हुआ करता है ,जैसे मनू ने 'नारायण' का अर्थ किया है कि (नार) जलों में जिसका निवास हो, वो #नारायण' है, पर गुरु जी ने लिखा है;
'नाराइण सभ माहि निवास' ।
अरबी में '#मौला' का अर्थ है सरायक तथा आज़ाद करने वाला,पर गुरु साहिब ने मौलाना धातु से बना पंजाबी शब्द कथन किया है, यथा;
'सोई मोउला जिनि जग मउलिआ हरिआ किआ संसारो।।'
ऐसे ही हरा (प्रफुलित) करने वाला "हरि" वर्णन किया है, गुरबाणी में अधिकतर नाम ऐसे आते हैं, जिनके अनेक अर्थ होते हैं , #गोरख पद का अर्थ योगी-विशेष, #विष्णु तथा परमेश्वर है, इसी तरह #राम का अर्थ रमिया (सर्व-व्यापक) वाहिगुरू है, इस भेद को जाने बिना अधिकतर लोग भृम में पड़कर यथार्थ अर्थ के ज्ञान से विहीन रहते हैं ।
अनेक स्थानों में भाषा का अंतर होने तथा उसका ज्ञान न होने के कारण अर्थ से अनर्थ हो जाता है , जैसे:- "होइगा खसम ता लेइ गा राख" कबीर जी इस पंक्ति में 'खसम' का अर्थ 'दुश्मन' जाने बिना ज्ञानियों ने 'स्वामी' अर्थ करके कबीर जिको नास्तिक सिद्ध कर दिया है।
कभी-कभी तो पद का अर्थ छोड़कर, साधारण रीति से आम लोगों के जबानी चढ़े नाम अपने-अपने समुदाय के ईष्ट और देवतों के लिए लिखा समझ मान रहे होते हैं।
ऐसे ही बहुत से नाम जो गुरबाणी में दर्ज हैं , उनका खुलासा साक्ष्य सहित दूसरे भाग में करेंगे, जैसे #रघुनाथ, #गोपाल , #ब्रह्मंड, #सारंगपाणी, #मुरारी, #विष्णु, #शिव, #ब्रह्मा, #इत्यादी। Cont..
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