Friday, 10 February 2017

वैलंटाइन डे

अध्यात्म तल तक पहुंचने और प्यार की सीमाऐं लांघने में तुल्य करने योग्य में जो सात अवस्थाएं हैं, वो लगभग एक सी है।
आइए, इन दिनों में आ रहे "वैलंटाइन डे" पर संक्षेप में कुछ बात करते हैं।
यह वो सात सीढ़ियां हैं, जिनको चढ़ने पर कोई भी मनुष्य लक्षय तक पहुँच सकता है।

पहली सीढ़ी है "दिलकश" । इसमें ऐसा लगता है कि जब कोई, किसी पर आकर्षित हो।
दूसरी सीढ़ी है "उन्स" । यह ईष्ट के प्रति अनुराग है, जिसमे अपने अस्तित्व का बोध बनाए रख दूसरे को बातचीत से अपने होने का एहसास दिलाना।
तीसरी अवस्था है, "अकिकद" । जहां चाहत ही नहीं श्रद्धा भी है कि मुझे तुम और भरोसा है।
चौथी सीढ़ी है "इबादत" । पूजा से  एक दूसरे के प्रति दोष नज़र नहीं आता और अवगुण भी गुणों से दिखते हैं।
फिर बारी आती है "जनून" की । यह अहसास कि दूसरे के बिना जीना निरर्थक है ।
#समर्पित" वह अवस्था है जब अपनी योग्यता, हर कोशिश, बिना चालाकी , उसका साथ पाने के लिए, को समर्पण कर दिया जाता है।
आखरी सीढ़ी है "फ़ना" । जिसमें अपना अस्तित्व विलीन हो जाता है। यह प्रेम की वो अवस्था है जब प्रभू, भक्त और भक्त प्रभु बन जाता है। फ़ना का अर्थ है, डूब जाना, समाप्त हो जाना ।
अब जबकि "प्यार" का अर्थ बहुत संकुचित हो गया है, केवल गिफ्ट के बदले रिश्ता प्राप्त करने की चालाकी।
प्यार तो महान है , जसमें जान की बाज़ी, जो की जुमला लगता है, पर हक़ीक़त है।
प्रेम और भक्ति दोनों ही फ़ना की मुक़ाम है।

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