#Oh_Nanak, #The_Soul of #The_Body hs a #Chariot & a #Charioteer.
In #Age_After_Age they #Change;
#The_Spiritually_Wise understand this.
In The-Golden-Age of #SATYUGA,
#Contentment was The-Chariot & #Righteousness The-Chsrioteer.
InThe -Silver-Age of #TRATAYUGA
#Celibacy was The-Chariot &
#Power The-Charioteer.
In The-Brass-Age of #DWAPERYUGA
#Penance was The-Chariot &
#Truth The-Charioteer.
In The-Iron-Age of #KALYUGA
#Fire is The-Chariot &
#Flasehood is The-Charioteer.
#Aasa_Di_Waar. #SGGS Cont...
ਹੇ ਨਾਨਕ! ਚੌਰਾਸੀ ਲੱਖ ਜੂਨਾਂ ਵਿਚੋਂ ਸ਼ਿਰੋਮਣੀ ਮਨੁੱਖਾ-ਜੀਵਨ ਦਾ ਇੱਕ ਰਥ ਹੈ ਅਤੇ ਆਤਮਾ ਇੱਕ ਰਥਵਾਹੀ ਹੈ।
ਭਾਵ:- ਇਹ ਜਿੰਦਗੀ ਦਾ ਇੱਕ ਲੰਮਾਂ ਸਫ਼ਰ ਹੈ । ਮਨੁੱਖ ਮੁਸਾਫ਼ਿਰ ਹੈ;
ਇਸ ਲੰਮੇ ਸਫ਼ਰ ਨੂੰ ਸੌਖੇ ਤਰੀਕੇ ਨਾਲ ਤੈਹ ਕਰਣ ਲਈ , ਜੀਵ ਸਮੇਂ ਦੇ ਪ੍ਰਭਾਵ ਨਾਲ ਆਪਣੀ ਮੱਤ ਅਨੁਸਾਰ ਕਿਸੇ ਨ ਕਿਸੇ ਦੀ ਅਗਵਾਹੀ ਵਿਚ ਤੁਰ ਪੈਂਦੇ ਹਨ । ਕਿਸੇ ਨ ਕਿਸੇ ਦਾ ਆਸਰਾ ਤੱਕ ਰਹੇ ਹਨ । ਪਰ ਜਿਉਂ ਜਿਉਂ ਸਮਾਂ ਗੁਜ਼ਰਦਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਜਿਵੇਂ ਦਾ ਸੁਭਾੱਵ ਬਦਲ ਰਹੇ ਹਨ, ਇਸ ਵਾਸਤੇ ਜੀਵ ਦੀ ਆਪਣੀ ਜਿੰਦਗੀ ਦਾ ਨਿਸ਼ਾਨਾ , ਜਿੰਦਗੀ ਦਾ ਮਨੋਰਥ ਭੀ ਬਦਲ ਰਿਹਾ ਹੈ। ਤਾਂਹੀ ਤੇ:-
हिन्दू धर्म के शास्त्रों के अनुसार #सृष्टि ( Creation) एक उम्र विशेष को "युग"(Era) कहा गया है और इनकी गिणती चार है।
1. #सत्युग (Golden-Age)
2. #त्रेता-युग (Silver-Age)
3. #दुआपर-युग (Brass-Age)
4. #कलयुग (Iron-Age)
इन सभी युगों की औसतन उम्र सीरियल से दिखाएं तो यूँ बनती है:-
1. 18,28000 वर्ष
2. 15,96000 वर्ष
3. 8,64000 वर्ष
4. 4,82000वर्ष मौजूदा युग
इन सब को मिलाकर "महायुग" कहलाता है।
हर-एक युग की उम्र औसतन घटती दिखाई देती है ।
इन्हीं शास्त्रों के अनुसार युगों की उम्र और जीवों का शारीरिक-बल व आचरण भी कमज़ोर होता जा रहा है ।
गुरु नानक जी ने इस जानकारी को मुख्य रख अपनी सूझ और दिव्य शक्ति को मिला मनुष्य को असलियत समझाने की खातिर अपनी बाणी में कुछ यूं बयां किया है:-
सर्वप्रथम जीव के शरीर को #रथ (Chariot) और उसकी #आत्मा (Soul) को रथ का #सारथी (Charioteer) कह कर संबोधित करते हुए इन चार युगों का जो व्यख्यान किया है, उसे समझिए ।
"सत्युग"(#Golden_Age) में मनुष्य शरीर रूपी रथ #संतोष (Contentment) है ।और
आत्मा रूपी सारथी #धर्म (Righteousness) है।
क्योंकि मनुष्य जीवन का उद्देश्य धर्म है,स्वभाविक ही सन्तोष उन पर सवार (प्रभावित) है।
यदि मनुष्य (धर्म) सन्तोष पर प्रबल है तो स्वभाविक ही सत्ययुग (स्वर्ण-युग) में जी रहा है ।
"त्रेता-युग": (#Silver_Age) में मनुष्य का शरीर का रथ "#जत" (Celibesy}
और आत्मा #ज़ोर" (Power) है ।
तो फिर जब मनुष्य की जिंदगी का उद्देश्य #शूरवीरता है तो स्वभाविक ही जत पर सवार है।
शूरवीरता के प्रेमी मनुष्य के अंदर जती रहने का उबाल सबसे अधिक प्रबल है ।
"दुआप्र-युग" :- (#Brass_Age) इस युग में मनुष्य शरीर का रथ "#तप" (Penance) है । इस तप रूपी रथ का सारथी #सत (Truth) होता है।
अर्थात जब मनुष्य की जिंदगी का लक्ष्य #उच्चा_आचरण (High Conduct) हो , तब सहज ही तप उन पर सवार होता है। उच्चे आचरण के आशिक अपने शरीर इंद्रियों (Body Senser) को विकारों से बचाने के लिए कई तरह के तप, कष्ट झेलते हैं।
"कलयुग" (#Iron_Age) में मनुष्य-शरीर का रथ #तृष्णा_आग" (Fire) रूपी रथ के सारथी #कुड़" ,ठगी, छल, (#Falsehood) है।
अर्थात, जब जीवों का जीवन-मनोरथ कुड़, ठगी हो, तब अपने आप ही तृष्णा की आग उन पर सवार होकर , कुड़ ठगी में बिके हुए लोगों के अंदर तृष्णा की आग भड़कती रहती है ।
#Aasa_Di_Waar. #SGGS
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