Thursday, 11 May 2017

दिल

करूणा का संचार हो, पसीज़ता है 'दिल'
साहस का सम्मान हो बढ़ जाता है 'दिल'।
पीड़ादायक कष्ट हो,सांप-सा लौटता है 'दिल' । 
शोकाकूल अति वेदना,भारी-सा हो जाता है 'दिल'  ।  
अत्यधिक हो हर्ष, तो उछलता है 'दिल' ।
किसी जीव, वस्तु की हानि, उदासीनता  है 'दिल' ।
चंचल मन निर्णय पर ना टिके, भटकता है 'दिल' ।
खुशी की अभिलाषा पूर्ण हो, भर-सा जाता है 'दिल'।
Gambhir Says 12 May 2012

No comments:

Post a Comment