Friday, 12 May 2017

सुर से सुर मिले...

सुर से सुर मिले हमारा...!

वैसे देखा जाए तो हमारे दिल की जो धड़कन है, वो बिना अपने किसी निजी स्वार्थ के निरंतर हमारे लिए सांस लेते, हमारी चेतन अवस्था (जागते हुए,होश ए हवास में), और अचेतन अवस्था (सोते हुए, सहज स्वभाव) एक संगीतज्ञ-लय (एक-रस) नियमित गति से चलती से चलती हुई, जैसे कह रही हो कि हे मनुष्य! बिना किसी साज़ (उपकरण) ताल से ताल मिला, प्रभु का नाम लेते हुए,या कदमों की चलती एक लह गति की थपथपाहट, अथवा दीवार की घड़ी की टिक-टिक की धुन से "नाम" के सुर से सुर मिला कर चलके तो देख! यह सुर, साज़ जब से तेरे साथ है, जब से तूने मां के पेट में पहली सांस लेनी शुरू की थी ।

क्या हमने कभी प्रभु का सिमरन-बन्दगी करते हुए इस प्राकृतिक ध्वनि के सुरीले सुर से सुर मिलाया? आओ मिलकर यत्न करते हैं!

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