मुकंद,(मुक्ति का दाता)
लगभग सभी धर्मों में परमात्मा को संबोधित करते हुए,उनके गुणवाचक नामों से पुकारा जाता है, जिनमें एक नाम है "मुकंद" जिसका अर्थ है 'मुक्ति का दाता" अर्थात इस दुनिया में जीवों (जिनमें से हम भी एक हैं) को इस आवागमन (जन्म-मरण) के बंधें बंधन से मुक्ति दिलाना, जो कि स्वंय परमात्मा के दिये टास्क को कम्पलीट करने तक लिमिट है, जिसके न करने अथवा फेल होने की सूरत में फिर से उसी किर्या में रिपीट होते रहने की प्रकिर्या को शास्त्रों में कहा गया है।
गुरु ग्रन्थ साहिब (SGGS) में गुरुओं के अतिरिक्त कई भक्तों की वाणी से उच्चारण किये शब्द भी दर्ज हैं, जिनमें से एक हैं 'भक्त रविदास, उनके एक शब्द, जिनमें रविदास जी ने परमात्मा को 'मुकंद' से संबोधित किया है।
"मुकंद मुकंद जपहु संसार।।
बिन_ मुकंद_, तन_ होइ अउहार।।
सोई मुकंद_, मुकति का दाता।
सोई मुकंद, हमरा पित माता।।
मुकंद (मुक्ति का दाता) अउहार (नाशवान)
875, SGGS
Sunday, 14 May 2017
मुकंद (मुक्ति का दाता)
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