गरीब की परिभाषा।
उस इंसान से अधिक गरीब और कोई नहीं है, जिसके पास केवल पैसा है ।
गरीबी' स्वयं अपमानजनक नहीं है, केवल उस गरीबी के अतिरिक्त जो आलस्य, व्यसन, फिजुल्कार्ची और मूर्खता के कारण हुई हो ।
वह व्यक्ति गरीब नहीं है , जिसके पास पैसा नहीं है, गरीब वह है जिसकी अभिलाषाएं बड़ी हुई हैं ।
जो व्यक्ति धनी होकर भी दान-पूण्य या निर्धन हो कर भी परिश्रम नहीं करता, वो दोनों ही मानवता के दुशमन हैं ।
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