Monday, 29 May 2017

इतिहास या मिथ्यास

अधिक दूर मत जाओ, सही मायनों में पिछले पांच -छह सदियों के हमारे देश,धर्म के इतिहास को तब और अब के शासकों ने अपने स्वार्थहित, बहुत ही तोड़ -मरोड़ कर पेश किया है।

वो जालसाज़ शासक चाहे मुगल राज़ का हो, ब्रिटिश राज का हो  या आज़ाद देश के विभिन्न राजनीतिक दल,अथवा धर्म के स्वंयम्भू संत व संघ बिरादरी,जिन्होंने ऐसा जानबूझ कर किया या लेखकों को प्रलोभन देकर करवाया।

वो अब की तथा आने वाली शिक्षित पीढ़ी, हमारे देश-धर्म के महापुरषों, शहीदों, समाज सेवियों के कथन और कर्म की गाथा, वैज्ञानिक व आधुनिक उपकरणों से शोध कर, तथा अपनी बौद्धिक कार्य कुशलता से सच सामने लाने में अधिक देर नहीं लगाएगी।

#Seriously

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