Thursday, 18 May 2017

तपस्या

तपस्या ।
               तपस्या का कोई विकल्प नहीं है ।
समान्य तौर पर हमारे पास दो आँखें, दो हाथ, तो पैर तथा एक जैसा शरीर है ।
परन्तु क्यों एक आदमी अर्श पर पहुँच जाता है और दूसरा फर्श पर रह जाता है ?
सर्दियों में सुबह चार बजे ठंडे पानी के साथ नहाना तपस्या नहीं है ।
घर परिवार छोड़ जंगलों में जाना तपस्या नहीं है ।
तपस्या है, मेहनत करना, कोशिश करना
एक विद्यार्थी जो परीक्षा की तैयारी कर रहा है, वो तपस्या है ।
एक माँ जो प्रतिदिन रात अपने कमजोर बच्चे की निस्वार्थ सेवा कर रही है, यह तपस्या है ।
जब भी हम अपने लक्ष्य की ओर दौड़ते हैं, उसमें एक लोभ होता है । पर इस लोभ में कई लोग फिसल जाते हैं, पर जो उस अवगुण में स्थिर रहता है, वो तपस्वी है।
तन, मन तथा बुद्धि की तपस्या ही हमें फर्श से अर्श तक पहुंचाती है ।

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