Thursday, 18 May 2017

अपने अंदर ही सब कुछ है

अपने_अंदर_ही_सब_कुछ_है ।
                 गुरु ग्रन्थ साहिब जी का अध्यन करने पर हमारा परमात्मा पर निश्चय बढ़ने का संकल्प मिलता है ।
            परन्तु वह कहाँ है ? क्या उसका निवास किसी मन्दिर, गुरद्वारा, तीर्थ स्थान या, पहाड़ पर है । इन सभी प्रश्न के उत्तर हमें गुरु बाणी से मिलते हैं ।
              कई बार कोई वस्तु हम व्यर्थ में कहीं ओर ढूंढते हैं, मिलती अपने पास से ही है । जैसे नर कस्तूरी मृग (musk deer) के शरीर में एक ऐसी  ग्रन्थी होती है, जिससे सुगन्ध पैदा होती है । मृग इस सुगन्ध से आकर्षित होकर सारे जंगल में भटकता है, जबकि वो उसी के शरीर के अंदर है ।
                   गुरबाणी की शिक्षा है कि परमात्मा तथा उसके सभी गुण हमारे अंदर ही हैं । बाहर ढूंढने की कोशिश मत करो । वहां वहम और भरमों में पड़ कर दुख ही पाओगे । हम उस प्रभु के गुणों को अपने अंदर ही खोज कर उसके साथ जुड़ सकते हैं । संक्षेप ।
अंतरि वसतु मूडा बाहरु भाले ।। SGGS-117
सिखी, कल आज और कल ।
Amrender Singh

No comments:

Post a Comment