Sunday, 21 May 2017

टूटते रिश्ते

बहुत समय से देखा जा रहा है कि किसी न किसी कारण,पति- पत्नी के रिश्ते को छोड़ दें, तो दो भाई-बहन, मां-बाप-बेटा तथा पुराने पडोसी आपस में जब झगड़ते हैं तो एक अजीब सी कसम खा लेते हैं कि "तेरा मेरा जीना-मरना ख़तम"!,"जीते जी मैं तेरा मुंह नहीं देखूंगा"!,"न तू मेरे मरने पर आना, न मैं तेरी खुशीयों में आऊंगा"! इत्यादि .

ऐसी क्या बात  होती है कि दो भाई बहन, दो बाप-बेटे, दो पड़ोसी जो पहले इतने क्लोज थे कि न जाने कैसे अब अचानक इतने जॉनी- दुश्मन हो गए कि जन्म-भर के लिए एक दूसरे की शक्ल ना देखने की कसमें खाने की जरूरत आन पड़ गयी।

कुछ रिश्तों में तो समय के साथ-साथ बात पुरानी होते ही, यह दुश्मनी किसी ना किसी दोस्त , सगे संबधी, रिश्तेदार के बीच में पड़ जाने से या दोनों पार्टी में से किसी एक के झुक जाने से खत्म हो जाती है परंतू दस परसेंट ऐसे रिश्ते हैं जो ता-उम्र नहीं सुधर पाते, बल्कि और बिगड़ जाते हैं और इस घी में आग डालने का काम करते हैं,वो अपने ही खासम खास जो दोनों पार्टियों के बाहर से तो शुभ-चिन्तक होते हैं, पर अंदर से भीतर-घातीजो नहीं चाहते कि इनके आपस के रिश्तों में कोइ सुधार हो।

जमीन-जायदाद व् व्यापार के झगड़े  को छोड़ कर ऐसा क्या कारण हो सकता है कि जो लोग, कभी एक समय ,एक परिवार, एक दुसरे के दुख-सुख के सहयोगी थे आज एक दुसरे के बारे में सोचना भी नहीं चाहते।

इस लेख द्वारा मैं यह जानना चाहता हूँ कि इस लड़ाई को प्रेम में बदलने का क्या कोई विकल्प नहीं है ? कि वो दो परिवारों का फिर वैसे ही निकट संबध हो जाए और वो फिर से मिल बैठ अपना दुख-सुख बाँट सकें ! बस अब इसमें एक अदद मिडिल-मैन की जरूरत है,जो निस्वार्थ भाव और गंभीरता  से अपना फर्ज समझ सके और परमात्मा की खुशियों का हिस्सेदार बने

#Seriously 22/5/12

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