कल रात NDTV के प्राइम टाइम में रवीश कुमार ने IIT महकमे पर पड़ रहे मंदी के बादल और नोकरियों की छंटनी पर सवाल उठाया, और बताया कि किस कारण प्लस टू से ही ट्रेनिंग के साथ नई भर्ती के बावजूद पुराने तीस-पैंतीस लाख के पैकेज वाले एक्सपर्ट मुलाज़िम को पैंतीस प्लस होते ही फायर किया जा रहा है, जोकि आने वाले समय में उनके और हमारे लिए गंभीर सोच का मुद्दा रहेगा कि वो इसके बाद कहीं चौकीदार की नौकरी पर निर्भर रहेगा या ओला-उबर की ड्राइविंग संभालेगा।
कंपनीयों की तरफ से दी गई सफाई में उनका सीधा-सीधा यह आरोप लगाना भी सोचनीय है कि इस विषय की लाखों रुपये देकर आए विद्यार्थी यानि डिग्रीधारियों में से 60% कॉपी पेस्ट हैं, जिन्होंने नकल नहीं कहेंगे रटे रटाए आंसर की परीक्षाओं में पास होकर डिग्री तथा 8 से बीस लाख पैकेज वाली नौकरी तो जरूर हासिल कर ली, पर इस पढाई के साथ जुड़ते प्रशिक्षण तथा अपने स्वंय के कौशल को साथ नहीं जोड़ पाए, जिस कारण अब उनकी अपनी अयोग्यता के आधार पर अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ रहा है।
इस प्रोग्राम में IIT से जुड़ने वाले नये विद्यार्थियों के लिए एक खुश खबर यह बताई गई कि नई प्लेसमेंट में 10+2 के साथ ही कंपनीयों की तरफ से ही प्रशिक्षण के साथ साथ नौकरी उपलब्ध कराई जाएगी।
क्योंकि सबको जानकारी है कि हमारी प्रशिक्षण संस्थाएं कैसे अपने सर्टिफिकेट व डिप्लोमे केवल कक्षाओं की खानापूरी कर बेचती हैं।
रही बात कॉपी पेस्ट वाले मामले की, जो सदैव फेसबुक पर रहने वालों से अधिक कौन जानता होगा कि कैसे रेडी मेड प्रोजेक्ट दुकानों में बिकते है, जिनको स्कूल में दिखाने पर ग्रेड बढ़ाये जाते है, उनसे नए आ रहे इंजीनियर ने अपनी कुशलता के क्या गुण दिखाने थे।
मोटे मोटे पैकेज वाली नौकरी, सरकारी महकमे से जुड़ती तो है नहीं कि ले देकर बिना किसी अपनी मेहनत से बड़ी से बड़ी प्रमोशन ओर इंक्रीमेंट पाए गए। प्राइवेट कंपनियों जितना पैसा देंगी तो ईमानदारी से मेहनत तो करनी ही होगी। वर्ना सही मायनों में नकली पढ़ाई से मिली असली डिग्री कहीं चौकीदारी ओर ओला टैक्सी की ड्राइविंग से रोकने से रही। #Seriously
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