#विचारधारा गुरु नानक साहिब जी के समय से ही सिख विचारधारा का जन्म हुआ. यह विचारधारा बराह्मणवादी करमकांड तथा मनुष्य को मनुष्य से दूर करने वाली समाजिक इकाई नहीं,बल्कि एक अकेली जान के रुप में चित्रण वाली सोच के मुकाबले उपर उभरीं थी.
इस विचारधारा का अत्याधिक जौर एक परमात्मा में विश्वास, समाजिक संगठन, सेवा-भावना, किरत (करम) कमाई तथा मानव़ की समानता के आदर्श प्राथमिक हैं.
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