बहुत समय से देखा गया है या यूँ कह लीजिए बहुत पुराने समय से देखा जा रहा है कि किसी न किसी कारण पति- पत्नी के रिश्ते को छोड़ दें तो भाई-बहन, मां बाप-बेटा पुराने पडोसी आपस में जब झगड़ते हैं तो एक अजीब सी कसम खा लेते हैं कि तेरा मेरा मरना ख़तम, जीते जी मैं तेरा मुह नहीं देखूंगा , न तू मेरे मरने पर आना न मैं तेरी खुशीयों में आऊंगा इत्यादि .
ऐसी क्या बात होती है कि दो भाई बहन, दो बाप बेटे, दो पड़ोसी जो पहले इतने नजदीकी होते थे कि अब जानी दुश्मन हो गए ओंर जन्म-भर के लिए शकल ना देखने की कसमें खाने की जरूरत पड़ गयी. कुछ रिश्तों में तो समय बीतते बात पुरानी होते ही यह दुश्मनी किसी ना किसी दोस्त , सगे सम्बन्धी, रिश्तेदार के बीच में पड़ जाने से या दोनों पार्टी में से किसी एक के झुक जाने से खत्म हो जाती है परंतू दस प्रतिशत ऐसे रिशते हैं जो ताउमर नहीं सुधर पाते .बल्कि ओंर बिगड़ जाते हैं और इसमे आग डालते है वो अपने जो दोनों पार्टियों के ख़ास होते हैं जो नहीं चाहते कि इनमे कोइ सुधार हो /
जमीन जायदाद व् व्यापार के झगड़े को छोड़ कर ऐसा क्या कारण हो सकता है कि जो लोग एक समय ,एक परिवार, एक दुसरे के दुःख सुख के सहयोगी थे आज एक दुसरे के बारे में सोचना भी नहीं चाहते/
इस आर्टीकल दवारा मैं यह जानना चाहता हूँ कि इस लड़ाई को प्रेम में बदलने का कोई विकल्प नहीं है ? कि उन दो परिवारों का फिर वैसे ही कलोज हो जाए और फिर मिल बैठ अपना दुःख सुख बाँट सकें, बस एक अदद बिचोलीये की जो निष्काम भाव और गंभीरता से अपना फर्ज निभा सके और परमात्मा की खुशीयाँ ले/22/5/12
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