Wednesday, 4 May 2016

परिचय (गुरु अर्जन देव जी)

#परिचय: आज सिख धर्म के पांचवें गुरु श्री गुरु अर्जन देव जी का प्रकाश दिवस है। उनका जन्म सन् 1563 में पिता चोथे गुरु राम दास जी के घर माता बीबी भानी जी की क़ुख से हुआ था । उनकी माता बीबी भानी जी को तीसरे गुरु अमर दास जी की पुत्री, गुरु राम दास जी की पत्नी तथा गुरु अर्जन देव जी की माता होने का सोभाग्य प्राप्त हुआ ।
गुरु अर्जन देव जी को गुर गद्दी 18 साल की अवस्था में प्राप्त हुई।  कुल 43 साल के अपने जीवन में संक्षेप में लिखूं तो एक, गुरु राम दास जी द्वारा बनवाए जा रहे अमृतसर के सरोवर की सेवा संपूर्ण की। दूसरा, श्री हरमिंदर साहिब की स्थापना की । तीसरा, सुखमनी साहिब सहित बहुत सी बाणी का उच्चारण किया, चौथा,अपनी जगह गुरु ग्रन्थ साहिब जी का प्रकाश किया, अपने सोने के पलंग पर उनका सुख आसन किया,  स्वंय अपना  बिस्तर जमींन पर लगवाया और गुरु ग्रन्थ साहिब जी द्वारा दिया गया हुकुमनामा सब संगत को मानने का हुकुम दिया । पांचवां, समाज के लिये मुग़ल राज की गुलामी का विरोध कर शहीदी प्राप्त की।
गुरु अर्जन देव जी की बाणी एक सिद्धांत है और उनका जीवन प्रेक्टिकल । सिख धर्म के इतिहास में ये उनकी शहीदी पहली तथा शिरोमणि शहादत हैं।
इसी शहादत के बाद ही गुरु अर्जन देव जी के पुत्र व् छठे गुरू हरगोविंद जी ने सिखी विचारधारा 'संत' के साथ 'सिपाही' का संयोजन किया और धर्म, समाज की सुरक्षा के लिये युद्ध की तैयारी के लिये फौज की स्थापना की और परमात्मा की आराधना के साथ साथ गरीब और कमज़ोर मनुष्य की सुरक्षा के लिये शस्त्र रखने का हुक्म दिया ।

Guru Arjun Dev ji; (15 April 1563 – 30 May 1606) was the first martyr of the Sikh faith and the fifth of the ten Sikh Gurus, who compiled writings to create Sri Guru Granth Sahib ji, (now the eleventh, Super living Guru, Sri Guru Granth Sahib ji).  It is, perhaps, the only script which still exists in the form first published (a hand-written manuscript) by the Guru.[He was born in Goindval, Punjab the youngest son of Guru Ram Das ji  and Mata Bhani ji the daughter of Guru Amar Das ji.

MILLION MILLIONS GREETINGS TO ALL THE SAADH SANGAT JI ON THE PRAKASH PURAB OF SRI GURU ARJUN DEV JI .
MAY WAHEGURUJI BLESS US ALL TO FOLLOW HIS PREACHINGS IN TRUE LETTR AND SPIRIT.

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