Death is the last chapter of life
मरना, जिंदगी का अंतिम अध्याय है । जिंदगी के जस दौर में हम गुजरते हैं, उस से कुछ शिक्षा मिलती है। । चाहे लिखना पढ़ना हो,साईकल चलाना, तैरना, मोबाइल, कंप्यूटर, इंटरनेट इत्यादि । सब कुछ सीखने से आ जाता है ।
ऐसे ही मौत जिंदगी के सिलेबस का अंतिम अध्याय है । जिसे परीक्षा देने के लिये समझना बहुत जरुरी है । यह वो घटना है जो लाजमी होनी है ।
फिर भी हम इस अध्याय को समझना नहीं चाहते । मौत की सोच ही हमें डरा देती है । क्योंकि इस के बाद जैसे सब कुछ ही बिखर जाएगा, जो मैं हूँ या जो मेरा है । हमारी एक शंका इसका कारण है । दूसरा कारण, हम मौत से इसलिये डरते हैं क्योंकि पिछले कई जन्मों की अदृश्य पीड़ा हमारे भीतर मौजूद है । जैसे ही हम मौत के बारे में सोचते हैं, हमारे संस्कार जाग जाते हैं और हम डर जाते हैं ।
इस संसार को छोड़ने की तैयारी हमेशा रखनी चाहिये । क्योंकि मौत कभी भी आ सकती है । मौत हमें जब तक डराती है जब तक हमें इसकी समझ नहीं आ जाती । अक्सर इंसान गुस्से में बोल जाता है कि मैं मौत से नहीं डरता । मौत कुछ और नहीं बल्कि जिंदगी का एक ऐसा पड़ाव है,जिसमें गुजरने के बाद कुछ नया होता महसूस होता है । ऐसा सोचेंगे तो मौत मुक्ति है । फिर जीव आत्मा परमात्मा से लीन हो जाती है । यह तो उत्सव के क्षण हैं । आनंद की नई उच्चाईओं पर जाने का समय होगा, तो फिर क्या घबराना ।
गुरु ग्रन्थ साहिब का फरमान है कि अंतिम समय जो प्रभु को स्मरण करता है, वो उसी में लीन हो जाता है ।
जागृत अवस्था में मोजुदा समय को साक्षी मानकर रात को रोज मौत का अभ्यास करने से यह आभास होगा कि मौत और कुछ नहीं, अनिक्षित समय तक सोए रह जाना है ।
Thursday, 19 May 2016
अंतिम अध्याय
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