Wednesday, 4 May 2016

Whatsapp ਦਾ ਖੇਲ ।

व्हाट्सएप्प का खेल न्यारी
फेसबुक से हमरी यारी।
इस लहर में बहते बहते,
हमने जिंदगी सारी हारी।
इंटरनेट के भव सागर में,
रोज लगाकर डुबकी मारी।
घर के ख़र्चे चलाएं अपने,
हमारी न कोई जिम्मेदारी।
इस नशे में डूब के हमनें,
सारी दुनिया है विसारी।
कण कण में है नेट की रचना,
भुझ गई है दुनिया सारी।
अक्लवाले हैं लाभ उठाते,
नफा कमाते भारी भारी।
इससे ही हैं लोग निभाते,
अपनी अपनी रिश्तेदारी।
खोज साइंस की 'सहज' अनोखी,
हर बात में चमत्कारी।
इसके पीछे हुई दीवानी,
आज की ये खलकत सारी।
किस्मत वालो ले लो फायदा,
फिर नहीं आनी अपनी बारी।
Harminder Singh Sehaj

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