Wednesday, 4 May 2016

सिमरन ।

#सिमरन:-
पहला प्रश्न: सिमरन या नाम सिमरन क्या
है ?
गुरुबाणी में सिमरन का बहुत महत्व है ।
सिमरन का अर्थ है, चिंतन, याद करना, सोचना, ध्यान । ईश्वर का नाम अथवा गुण को मन की अवस्था को एक करके याद करना ।
फिर दूसरा प्रश्न उठता है कि उसका सिमरन करना क्यों है ?
उदाहरण : किसी बच्चे को अँधेरे वाले कमरे में से कोई वस्तु लाने के लिये कहो । तो वह अपने अन्दर के डर वेहम से उस काम को करने से इनकार कर देता है । या फि अपने भाई बहन को साथ लेकर ही जाता है।बेशक उसका वह भाई या बहन उम्र से छोटा ही क्यों ना हो । धीरे धीरे उसे हिम्मत आनी शुरू हो जाती है । फिर इतना ही काफी हो जाता है कि उसके साथ ऊँची ऊँची आवाज में बातें करने से अंदर का डर खत्म हो जाता है । उसको महसूस होने लगता है कि  बातें करने वाला उसके साथ ही है । वह अकेला नहीं है । इसी तरह सिमरन करने वाले को वो प्रभु साथ रहने वाला साथी प्रतीत होने लगता है ।
"बनि भीहावले हिकु साथी लधमु दुख हरता हरि नामा ।।"
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