Wednesday, 4 May 2016

व्यक्तिगत त्याग ।

एक पोस्ट पर राज राम चंद्र जी के एक प्रकरण जिसमें वह प्रजा द्वारा लगाए पत्नी मोह के आरोप को सुन सीता को त्याग देते हैं, में दोषी मानने या न मानने पर विचार चल रहे थे । उनमे कौन सही है, मैं नहीं जानता, पर जहां तक मेरा विचार है कि एक राजा ने राज धर्म का पालन किया क्योंकि उनके लिये एक राज परिवार या पत्नी मोह से अधिक अपने राज्य की प्रजा का दायित्व बड़ा था ।
हमारे धर्म में गुरु गोबिंद सिंह  जी ने अपनी कौम और देश की खातिर अपने परिवार का मोह नहीं रखा, अपने पिता श्री गुर तेग बहादर जी को अपनी विचारधारा से विपरीत दिशा में चलने वाले हिन्दू धर्म की रक्षा के लिये शहादत देने को प्रेरित किया, फिर बाद में जऱ, जोरू और जमींन की लड़ाई के विपरीत धर्म और देश की सुरक्षा खातिर अपने चार बच्चे (साहिबजादे) शहीद करवा दिए ।
कई बार ऐसी परीक्षा की घडी आती है जीवन में जिसमें जो निज़ी त्याग होता है वही इंसान को बड़ा बना देता है । जिनसे उनका एक इतिहास बन जाता है जो युगों युगों तक एक प्रेरणा का स्रोत सूचक होता है।

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