#वैसाखी:- आज वैसाखी है और खालसा सर्जना दिवस। बधाई।
13 अप्रैल 1699 को को सिखों के दसवें गुरु गुरगोबिंद सिंह जी ने पहले गुरु नानक जी द्वारा रखी एक विचारधारा को एक पंथ का नाम देकर उसकी वेशभूषा, मर्यादा निर्धारित की थी ताकि जो गुरु नानक नाम लेवा, जिनको एक परमात्मा, जिसका नाम ही केवल सत्य,इस ब्रामण्ड का कर्ता (मालिक) जिसको किसी का भय नहीं,जिसका किसी से वैर नहीं, जिसे मृत्यु नहीं आ सकती, जो जन्म-मरन से दूर, जो अपने आप से ही पैदा हुआ है। जिसे प्राप्त करने के लिए गुरु की कृपा चाइए ।
उपरोक्त बताये गुणों में परमात्मा की झलक देखने वाला जो भी मनुष्य है चाए वो गरीब या अमीर हो, किसी भी जाति, धर्म, देश का हो और श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी की बाणी को सुनता,मानता तथा उस पर चलता हो, वो इस पंथ जिसे 'सिख धर्म' का नाम दिया गया है, को धारण कर सकता है।
इस धर्म में ऐसी कोई पाबन्दी नहीं है कि इस धर्म को अपनाने वाला मनुष्य के माता पिता, भाई बहन,या कोई सगा संबंधी सिख होना चाहिये और न ही इस बात की कोई पाबंदी है कि इस धर्म के प्रचार प्रसार, पाठ पूजा, अध्यन या धार्मिक संस्कार कोई ऊँचे रुतबे आर्थिक रूप से सम्पन्न सिख ही कर सकता है।
आओ हम सब मिलकर इस विचारधारा जिसका विख्यान श्री गुरु ग्रन्थ साहिब में उपलब्ध है। जिसका अनुवाद और समीक्षा देश और विदेश की लगभग सभी भाषाओ में मिल सकती है, को पढ़ें, समझे और अपने जीवन का लक्ष्य बनाये और माने कि इस सृष्टि का कर्ता धर्ता एक ही है, और वो सभी गुणों से भरपूर है और इस धर्म की प्रफुलता की कामना करें । #गंभीर।
Wednesday, 4 May 2016
वैसाखी
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