अक्सर हम कहते हैं कि परमात्मा अंतर्यामी, सर्वय्यापी, पालनहार, दयालु, तथा कृपालु है । उसी की कृपा से हम इस दुनिया में आये हैं। यानी प्रभु की कृपा का स्तर क्या है और वो हमारे लिये क्या कुछ कर सकता है ?
गुरु ग्रन्थ साहिब जी की बानीकी शिक्षा में हमें समझाया गया है कि उस मालिक की कृपा की कोई सीमा नहीं है । वो किसी भी भिखारी को राजा और राजा को भिखारी बनाने की समर्थता रखता है । उस की जब कृपा होती है तो हमारी सभी इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं । और हमें किसी प्रकार का दुख नहीं रहता ।
"जिस के सिर ऊपरि तूं सुआमी सो दुखु कैसा पावै ।। (749)
उस प्रभु की कृपा,हमारी सोच से कहीं अधिक है । आज के वैज्ञानिक युग में भी कोई उस की कृपा को झुठला नहीं सकता । यही प्रभु अनगिनत आकाश गंगा, तारे,सूरज,चाँद,ग्रह व अन्य पिंड आदि को आधार दिए हुए है । उसी की कृपा से हवा, पानी, धुप, बादल आदि सभी एक नियम से बंधे हुए हैं ।
हमारे विज्ञानं नें जो खोज की, कर रही है या करेगी उसका आधार ही प्रकर्ति है जो प्रभु ने अनगिनत वर्षों से ही बना दी थी । वह प्रभु जन्म देने, पालने और मृतु देने को समर्थ है । हमें केवल जरूरत है उस प्रभु की इन कृपाओं को याद रखने की, धन्यवाद कहने की, मेहनत और ईमानदारी से अपना जीवन व्यतीत करने की । क्योंकि जब जहां पर सभी हाथ खड़े हो जाते हैं, तब वहां प्रभु ही हमारी मदद करने में समर्थ है ।
Saturday, 21 May 2016
प्रभु की कृपा
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