मैंने अपने दोस्तों में शादी से पहले अपनी भावी पत्नी के लिए बहुत से सुंदर सपने संजोते देखा है । पर उन्हें जो मिला उसे पहली नज़र में जब उन्होंने देखा था तो उनके सारे सपने तो पूरे नहीं हुए पर अचानक इतफाक से बिना शर्त "हाँ" हुई कियोंकि सच्चा और सहज़ प्रेम उन पर हावी हो गया.
बिल्कुल यही अवस्था परमेश्वर से प्रेम की है। उससे प्रेम भी अचानक और इतफाक से सच्चे गुरु की सिखाईं युक्तियों के बिना नहीं हो सकती हैं। परंतु इस सहज़ अवस्था को पाने के लिए कोई कठोर परिश्रम नहीं करना पड़ता बल्कि अपने आप को निर्मता में लाकर पाँच अवगुण (काम, करोध, लोभ, मोह, अंहकार) को काबू करने की चेष्ठा कर उस द्वारा दिए जा रहे दुख-सुख को बराबर मान उसके कुदरती नियम को सही मानने का प्रयत्न करना चाहिए। जो है भी हकीकत.
परमेश्वर के नियमों से छेड़-छाड़ और उसकी उल्लंघना वर्तमान और भविष्य में बहुत सी आपदाओं को जन्म दे सकतीं हैं. और उसके नियमों को झुठलाना, जयोतिष ज्ञान की आड़ में लोगों का बेवकूफ बन फिजूल के करमकांड में हिस्सा लेना विशेष कर शिक्षित व्यक्ति की सुझबुझ का परिचय नहीं देता.#गंभीर [02-04-2012]
Wednesday, 4 May 2016
सहिज स्वभाव ।
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